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कांग्रेस की बदलाव की आंधी का असर बीकानेर पर भी होगा, स्क्रिप्ट तैयार

  • शहर में अध्यक्ष नया बनाया जायेगा, लॉबिंग शुरू हुई
  • देहात अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस, पदाधिकारी अवश्य बदले जायेंगे
  • अब बीकानेर में भी पायलट गुट की दस्तक, कुछ लोग पदों पर दिखेंगे

अभिषेक पुरोहित

RNE Special.

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल के जयपुर दौरे में संगठन के पदाधिकारियों के साथ वार रुम में बैठक भी हुई। इस बैठक में जिलाध्यक्ष भी थे। उनकी बात खड़गे व वेणुगोपाल ने सुनी। बैठक में राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा व पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा भी थे।

नागौर के जिलाध्यक्ष व विधायक जाकिर हुसैन गैसावत ने खाली पदों की बात उठायी तो प्रत्युत्तर में पीसीसी चीफ डोटासरा ने अपनी तरफ से खाली पदों को भरने की बात बोली। इस पर खड़गे भड़क गए। उनको इस बात पर आश्चर्य था कि रिक्त पदों को भरने की बात पहले हो गई, फिर भी भरा क्यों नहीं गया।

विदित रहे कि एक बार खड़गे ने डोटासरा व रंधावा को दिल्ली में आनन फानन में बुलाया और रिक्त पद भरने व निष्क्रिय पदाधिकारियों को हर स्तर पर हटाने की स्वीकृति दी थी। सूचियां पीसीसी ने रंधावा से चर्चा के बाद ही बनाई थी। खड़गे की नाराजगी की वजह यही थी कि उसके बाद निर्णय क्यों नही लिए गए।

दो माह का डोटासरा को समय

खड़गे ने नाराजगी के साथ डोटासरा को सख्त निर्देश दिया कि दो माह में सभी रिक्त पदों को ब्लॉक से प्रदेश स्तर पर भरा जाये। निष्क्रिय पदाधिकारियों को घर बिठाया जाये। डोटासरा ने इस सख्त आदेश के बाद काम को तेजी से शुरू भी कर दिया है। लिस्टें बनने लगी है।

बीकानेर कांग्रेस पर असर

बदलाव की इस आंधी का बीकानेर कांग्रेस पर भी असर पड़ना तय है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। वे संगठन को बदलने की सहमति भी दे चुके हैं।

इस कारण बदलाव की इस बयार में नया शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा। इसमें भी एक पेच है। अब बीकानेर में भी पायलट गुट खड़ा हो गया है। उसके नेता भी शहर व देहात संगठन में पूरी दखल चाहते हैं। अब इस स्थिति में सर्वमान्य फैसला कैसे होगा, ये बड़ा सवाल है। लेकिन शहर में संगठन के पूरे बदलाव का काम होना निश्चित ही है।

देहात में भी सुगबुगाहट

देहात कांग्रेस में भी बदलाव की आंधी का कुछ असर तो पड़ेगा। देहात के बड़े नेताओं का एक गुट वर्तमान अध्यक्ष बिसनाराम सियाग को लेकर शिकायती मूड में है तो प्रदेश नेतृत्त्व उनके काम से नाराज नहीं है। राज्य के सक्रिय जिलाध्यक्षों में सियाग है। सियाग पर क्या निर्णय होता है, यह तो प्रदेश नेतृत्त्व जाने मगर देहात में कई पदाधिकारियों में बदलाव होगा, ये तय है। देहात के संगठन पर गुटीय राजनीति की पूरी छाप पड़ेगी। ये निश्चित ही है कि बीकानेर शहर व देहात कांग्रेस भी बदलाव की आंधी की गिरफ्त में आयेंगे।